Tinker lab creating science resource centre doing science


                                Jamnagar tinkering space
Objective- Create science resource center at DIET, Jamnagar
Resource person- Ravi and Neeraj from CLI, Gandhinagar
Other participants- Vijay suriliya (From Jamnagar, DIET), Vikas, Gorang and Ujjwal (from CSPC-TATA) and B.Ed students
Date- 5 September 2017 to 8 September 2017

“हमारा सबसे अनोखा अनुभव रहस्यमय होता है । यही मूल भावना सच्ची कला और सच्चे विज्ञान की बुनियाद है । जो इंसान इस बात से अनजान है, जो न आश्चर्यचकित हो सकता है और न ही अपना कौतूहल प्रकट कर सकता है , उसकी आंखे मूँद गयी हैं , वह लगभग मर चुका है ।“
                                                               -अल्बर्ट आइंस्टीन
Background-
The education project under Coastal Salinity Prevention Cell (an associate organization of Tata Trusts) started in 2015-16 in Mithapur region across 20 schools in Okhamandal block.
The intervention on ground (based on the approval of Education Department, Government of Gujarat) aims to demonstrate practices that can bring about qualitative change in literacy and numeracy skills of students in primary grades. Along with that, the project also aims to develop grade appropriate Maths and Science skills of students in upper primary grades. The larger aim of the work is to disseminate good practices of pedagogy, curriculum, classroom management, teacher training into government system so that the impact could be taken to larger scale in the time to come.
Setting up the Science section of the resource centre in DIET Jamnagar, which would allow both pre service as well as in service teachers to understand how teaching learning aids and materials could be put to use to improve the effectiveness of Science teaching till elementary grades (std 8th).





                                   भूमिका
मानव होने के मायने के जो मूल में है – अपने परिवेश में हो रही घटनाओं का अवलोकन कर उनसे अन्त: क्रिया करना ,अपनी जिज्ञासाओं को तलाशना और उसमें आनंद की अनुभूति करना । रोज़मर्रा के जीवन में घटने वाली बातों पर अक्सर हम सोचना बंद कर देते है , हमारी विज्ञान की कक्षा या किताबें भी जब हमें ये अवसर ना दे तो यह कक्षा व किताबों में हो रहे विज्ञान पर भी प्रशनचिन्ह लगाता है। इन छोटी –छोटी बातों में जो रोज हमारे चारों और घटती रहती हैं ,विज्ञान के मूलभूत सिद्धांत छिपे रहते हैं –इन्ही बुनियादी बातों को कैसे फिर जेहन में लाया जाये ,जिसे हम देखते हुए भी  अनदेखा कर रहे है ,कौतूहल के पनपने उसके जबाब को पाने की प्रिक्रिया के असीम आनंद को जीने के लिए एक ऐसे वातावरण की आवश्यकता हुई जहां हमारी जानने की भूख को ऊर्जा मिले ,हमे विज्ञान करने को मिले । इसे नाम जो सूझे दे दो पर जो इसके मूल में है –यहाँ विज्ञान होना चाहिए वो भी जीवंत ।
                   
जहां जाने से प्रश्न उमड़ना शुरू कर दे ,
अब जब देखूँ तो कुछ खोजता हुआ देखूँ ,
कुछ कल्पनाएं गढ़ता हुआ ,
कुछ प्रयोगो से गुज़रूँ
आस –पास की चीजों को बाँट दूँ
उनकी प्रकीर्ति ,गुणो जैसे आधारों में ,
पहचानु उनमे छिपे पैटर्नस को ,
कुछ तर्क करूँ ,
कुछ पूर्वानुमान करूँ ,
कुछ अपने से सिद्धांत गढ़ू ,
जो विभिन्न विषयों से जाना है
उन्हे जोड़कर कुछ संवाद करूँ ,
कुछ बातों को छोडु मैं ,
कुछ नयी बातों को जोड़ू मैं ,
एक ढांचे में विचार गढ़ू ,
उनको दर्ज करूँ ,फिर नए सवाल करूँ ,
फिर नए सिरे से संवाद करूँ
रोज़मर्रा के छोटे –बड़े सवालों से
यहाँ जूझूँ मैं ,
उनके जबाब तलाश करूँ ,
फंसी पड़ी मानवता जिन जंजालों में
कुछ तो उनको खोलूँ में ,
कुछ तो जालें दूर करूँ ,
इस जगह से विज्ञान में जीने की शुरुआत करूँ ,
कुछ खेल करूँ ,कुछ विज्ञान करूँ ।



                                प्रथम चरण
इसी विचार को अमलीजामा पहनाने के मकसद से जामनगर डाइट में एक विज्ञान संदर्भ केंद्र विकसित करना प्रारम्भ किया है , यह एक शुरुआत भर है ,यात्रा लंबी है और लंबी यात्राएं मिलकर ही तय की जा सकती हैं। फिलहाल यहाँ चार दिनों (5 सितम्बर से 8 सितम्बर ) तक के लिए यह तय हुआ था की डाइट में एक तय स्थान पर ऐसे कुछ विज्ञान के मॉडल /गतिविधि रख या सजा दी जाये जहां से इस कार्य की शुरुआत हो सके। इसके मुख्य लाभार्थी डाइट के छात्र -शिक्षक व जामनगर की परिसीमा में आने वाले शिक्षक साथी को देखा जा रहा है। इसके लिए सीएसपीसी व डाइट ने CLI ,गांधीनगर से सहयोग लिया। रवि व नीरज CLI की तरफ से , 4 साथी छात्र शिक्षक में से , 2 साथी सीएसपीसी से एक टीम ने इन चार दिनों मिलकर इस कार्य को पूरा करने की योजना थी।
रवि व नीरज के ट्रेन के देर से आने से ,5 सितम्बर को शिक्षक दिवस होने से योजना पर बड़ा फर्क पड़ा। डाइट के 12 छात्र शिक्षक हमारे साथ जुड़े ,जिससे भी काम की गति व गुणवत्ता पर फर्क तो पड़ना ही था । टीम बड़ी हो जाने से चर्चाए कुछ आवश्यक व कुछ अनावश्यक बढ़ जाती है और हमारी योजना के मुताबिक अवधारनाओं व सिदान्तो पर यहाँ बात करना नहीं था यहाँ तो CLI की निपुणता का उपयोग अधिक से अधिक विज्ञान मॉडल /गतिविधि बनाने से था। जो स्थान इस विज्ञान केंद्र के लिए पहले तय किया गया था वो डाइट के छात्रावास में था , डाइट फ़ैकल्टि विजय जी व प्रिफुला जी ने सलाह दी की इस छात्रावास में शिक्षको व छात्र – शिक्षको का आना –जाना नगण्य है , यह जगह काफी दिनों से उपयोग में न आने की वजह से गंदी भी अधिक हो गई थी , विज्ञान केंद्र ऐसी जगह पर हो जहां पर ज्यादा से ज्यादा दर्शक इसे मिल सके , इससे लाभ ले सके ,विज्ञान कर सके। इसलिए उन्होने डाइट की विज्ञान कक्ष को विज्ञान केंद्र के लिए नियोजित किया। जहां विजय सुरीलिया जी ने चारों दिन सहयोग में मुख्य भूमिका निभाई जैसे – छात्र शिक्षकों को निर्देशित करने में , भोजन व्यवस्था में , अन्य उपयोगी सामग्री की उपलब्धता में आदि ।



                         

                          आगाज विज्ञान संदर्भ केंद्र का
सभी आवश्यक सामग्री को विज्ञान कक्ष में ले जाया गया , रवि ने रसोई की संकल्पना से जोड़ते हुए सभी सामग्री को वर्गीकृत करके रखने से शुरुआत की , जैसे रसोई में खाना पकाने का मूलभूत समान रहता है , जिससे हम अपनी मर्जी अनुसार कुछ भी पका सकते हैं , कुछ जो नहीं है उसे बाजार से लाकर भी बनाया जा सकता है , जितनी व्यवस्थित रसोई होगी उतना ही सहज तरीके से उसमे काम किया जा सकता है। पहली गतिविधि अखवार से समान रखने की टोकरी बनाकर हुई, अखबार से टोकरी बनाने के चरणों में विभिन्न प्रकार की टोपी – बरसाती टोपी , ग्रेजुएट टोपी, नेहरू टोपी आदि को भी बनाया ,आयत के क्षेत्रफल जिसकी लंबाई 2 इकाई तथा चोड़ाई 1 इकाई है पर बात की गई यहाँ से प्रश्न बना की ऐसी वर्ग आकीर्ति जिसका क्षेत्रफल भी इस आयात के समान हो , बन सकता है क्या ? प्रश्नों से जूझना हमारे स्कूल तंत्र से नदारद ही हो गया है , किताबी प्रश्न ही वाजिब जान पड़ते हैं बाकी तो खेल ! आयताकार टोपी ले खुले सिरो को वर्ग का विकर्ण बनाते हुए नयी आकीर्ति बनाई गयी , ऐसा वर्ग जिसका विकर्ण 2 इकाई था , उसकी भुजा कितनी होगी? सवाल इतना जटिल लग नहीं रहा पर छात्र शिक्षको को छकाने के लिए अच्छा था , पाइथागोरस से इस पर समझ बनाई गई ,एक छात्र शिक्षक ने समझकर बाकी को भी इस हल तक पहुंचाया ।
अगली बारी घोस्ट क्यूब की थी , कई सारे क्यूब रूम में पड़े थे ,सभी प्रष्ठों पर गोल कट था , 1,2,3,4 फिर 4,3,2,1 इस सममिति में इनको चिपकाना था , कुल 20 क्यूब ,कोने जहां ये एक दूसरे को मिल रहे थे –समय व कौशल खपाने वाला काम था , दो समूह में इसे बनाया जा रहा था । नीरज भाई ने बात करने पर बताया की यह त्रियंगुलर सिरीज़ , बाइनोमीयल व पैटर्न को दिखाता है । यह गतिविधि दिखने में रुचिकर थी , बनने के बाद पैटर्न अच्छे बन पड़  रहे थे पर गणित या विज्ञान पर ज्यादा जम नहीं रही थी , केवल नाम लेने भर से कैसे अवधारणा बनने में ये मदद कर पाएगी , ये प्रश्न उनके लिए ज्यादा है जिन्हे विज्ञान व गणित को आगे बच्चो तक ले जाना है। CLI टीम भी इन प्रश्नो से दो – चार हो तो सीखने की यात्रा और मजेदार रहेगी ।
हमारे स्कूल तंत्र में हाथ से काम करने के कितने कम अवसर मिलते है , या मिलते ही नहीं , कागज को मोड़ने, काटने,चिपकाने ,फ़ाइल (रेती) ,cutter ,ब्लेड ,लकड़ी से कुछ बनाने में सभी को आनंद तो बहुत आया ही साथ में यह भी सीख रही की निर्देशों को सही से सुनना कितना जरूरी है और समूह में साझा सामग्री के उपयोग से कितने जीवन-कौशल  पर काम किया जा सकता है। सीखना समग्रता में ही संभव है न की तब जब ज्ञान को छोटे-छोटे टुकड़ो में तोड़ा जाये या विषयों में बाटा जाये।बच्चा जब स्कूल में आता है तो अपने परिवेश से बहुत कुछ सीखकर आता है , जब वो ज्ञान अर्जित करता है तो यह नहीं सोचता की यह गणित का ज्ञान है , यह पर्यावरण और अब गुजराती या भाषा का ज्ञान है । वो तो सहज रूप से एक दूसरे को जोड़ते हुए समग्रता में ज्ञान का निर्माण करता रहता है । ऐसा करना मुश्किल है की जब गणित को पढ़ रहे हैं तो भाषा की बात नहीं होगी ,और जब भाषा की बात हो तो गणित बिलकुल भी बीच में न आये । काम करते समय भी चर्चाए विभिन्न विषयों को अध्यारोपित कर रही थी।
 समूह बड़ा व ऊर्जावान था , इसलिए कभी –कभी तो वो अपनी बातों में संदर्भ समूह को बहा लेता ,सामग्री बनाने की गाड़ी जरूर धीरे –धीरे बढ़ रही थी पर सीखने –सिखाने की गाड़ी विभिन्न आयामों से गुजर रही थी यकायक से (Randomly ) । पहले दिन कुछ सामग्री भी लानी थी आगे आने वाले दिनों के लिए इसलिए 5:30 पर विराम दिया आज के काम को।
दूसरे दिन ग्रेट डोडेकाहेड्रन से शुरुआत की गई , A 4 पेपर पर चर्चा हुई  की A 3 ,A 4 से बड़ा होता है और पहले वाले साइज़ की लंबाई अगले की चोड़ाई हो जाएगी और पहली चोड़ाई का दोगुना करके नयी लंबाई बन जाती है । पेपर के विकर्ण पर मोड़कर दो बचे हुए भाग को बैक साइड मोड़कर डोडेकाहेड्रान के किनारे तैयार किए गए , 30 पेपर ऐसे बनाने थे ,तीन समूह यही काम कर रहे थे , फिर इनको चिपकाने का काम , एक पेंटगोन बनाकर उसके हर किनारे पर फिर एक पेंटगोन बनाना था । मानस चित्रण के लिए उम्दा गतिविधि थी यह , चिपकाते समय पूरी बनने वाली आकीर्ति को विजूलाइज करना अपने में चुनोती थी । तीन अलग –अलग साइज़ के ग्रेट डोडेकाहेड्रोन बने। उन पर रंग करने , त्रिभुजों की संख्या , unique प्लेन ,overlapped प्लेन पर एक स्तर की समझ बनाई गई।
इस तरह की चर्चाओं की सततता से ही गणित के उच्च स्तरीय कौशलों तक पहुंचा जा सकता है , जो वर्तमान पढ़ाने के तरीको में कम ही मिलता है ,पर एनसीएफ़ इसे ही आधार बनाकर गणित पढ़ाये जाने की कवायद करता है। प्रश्नो को कैसे बढ़ाया जाये, कब उत्तर दे दिया जाये ,कब उत्तर
तक पहुंचाने में मदद की जाये –इस  शिक्षण विधा इसको करते हुए ही सीखा जा सकता है ।
Tangram की सहायता से विभिन्न आकीर्ति बनाई गई, कैसे हम रचनात्मकता की दुनिया में बच्चो को ले जा सकते हैं ,उनके इनोवेशन को कैसे आगे ले जाये –tan gram पर काम करते हुए सभी इस रास्ते से गुजर रहे थे। करके सीखने का यही सबसे बड़ा फायदा है – खुद चरण दर चरण यात्रा करनी होती है ,समय थोड़ा ज्यादा लगता है पर जो सीखते हैं वो अधिक  स्थायी रहता है। tan gram में एक वर्ग को सात फ्लैट आकीर्ति में बाँट दिया जाता है , इन टुकड़ो से अगल -अलग आकीर्ति बनानी होती है ,कोई भी टुकड़ा overlap न करे, कोई भी टुकड़ा छूट न जाये। खरगोश ,पतंग व डोगी आदि की shapes संभागियों ने बनाई।
डाउन हिल मॉडल पर काम शुरू हुआ , पर ये मॉडल चार दिनों तक पूरा नहीं हुआ,कुछ सामग्री कम पड़ गई ,ये और अधिक अच्छी योजना बनाने की ओर इशारा करता है । इस मॉडल में एक निश्चित ऊंचाई से चीजों को लुढ़काना था , जिसकी विमाए छोटी होंगी वो तेज गति से नीचे आएगा ,जिसकी विमाएं लम्बी होंगी वो धीरे –धीरे नीचे आएगा । आज के दिन एक और आकर्षक मॉडल बनाया गया सी60 फूटबाल , समय और ऊर्जा को इसने भी बहुत खपाया पर गणित व विज्ञान पर ज्यादा नहीं ले जा पाया , पर इसे बनाने में जो आनंद लिया संभागियों ने वो देखते ही बनता था । फिर बनाया कार्ड फ्लिप मैजिक – नाम से ही लग गया होगा ,मैजिक है –मजेदार तो होगा ही , पैटर्न पर करने व समझने को बेहतरीन मॉडल । चर्चा तो parity बिट तक की गई , पर ये कम समय मे ज्यादा देने की कोशिश जैसी थी । balancing पीवीसी पाइप को बोतल की सहायता से रोकना भी wow देने वाला था।
तीसरे दिन गतिविधियों/मॉडल ने गति पकड़ी – छोटे थे, जल्दी बनने वाले थे ,सीधे विषय से जुड़ने वाले थे । आज बड़े समूह की बजाए छोटे समूह में काम किया गया । डीवीडी जिसे डाइट के computers में अपलोड कर दिया गया था , दो- दो के समूह में समभागी देखकर आते और अपने –अपने मॉडल बनाते। आज किट के भी मॉडल बनाए गए – सामग्री सरलता से मिलने वाली थी ,रिंग मेगनेट को  छोड़कर । जैसा CLI टीम दावा कर रही थी की कम बजट में ,सरलता से मिलने वाली सामग्री से गतिविधियां मॉडल बनाए जा सकते है , आज कुछ हद तक पूरा हो रहा था। डीसी मोटर , levitating pen ,फ्लूट ,spinner ,sprinkle ,मैथमेटिकल shapes बनाई गई ।
कार्य अब गति पकड़ ही चुका था , rope puzzle ,flexagon ,centrifugal force , moibus loop , रोबोटिक फ्रॉग ,हैमिल्टन path , magnetic kite ,height might व टी-puzzle  जैसे मॉडल चोथे दिन पूरे किए गए। इस दिन पास के स्कूल के बच्चो को बुलाकर इस विज्ञान संदर्भ केंद्र का शुभारंभ भी किया गया , छात्र शिक्षको ने बच्चो के साथ अर्थपूर्ण संवाद किया। यह जगह प्रदर्शनी ना होकर यहाँ आने वाले को कुछ गतिविधि करने को  प्रेरित करे , तो इसे सही मायने में अर्थ मिलेंगे।

                                 फीड बैक
सभी शिक्षक  छात्रो के फीड बैक से कुछ कॉमन बातें सामने आई – सभी को संदर्भ व्यक्ति का मित्रवत व्यवहार , प्रश्न पूछने की आजादी , गलती होने पर दोबारा सरलता से समझाना ,करते हुए सीखने के अवसर मिलना आदि  सभी ने सरस माहोल में सीखने –सिखाने की इस यात्रा का भरपूर लुफ्त लिया । सभी इस काम को और आगे भी करना चाह रहें हैं व बच्चो तक इस तरह के कार्यों को पहुंचाने को लेकर भी आशावान हैं। सभी चाहते हैं की पुन: इस तरह के अवसर मिले जहां मजेदार व अर्थपूर्ण सीखने को मिले।
रोबोट मॉडल को सबसे ज्यादा पसंद किया गया , स्लीपिंग पेन ,आइसो हेड्रन व मोटर भी  बहुत पसंद किए गए।

                               
 

                                  आभार
CLI की टीम को हार्दिक धन्यवाद, जिनकी मदद से ये विज्ञान संदर्भ केंद्र की संकल्पना को आगाज मिला, एक अच्छी शुरुआत भविष्य की आधारशिला बनती है, विज्ञान होता रहे, आगे बढ़े –इसकी सततता को बनाए रखना अब सीएसपीसी व डाइट जामनगर की ज़िम्मेदारी है। रवि व नीरज के साथ तीन दिन मजेदार सीखने –सिखाने वाले रहे। रवि व नीरज दोनों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनायें।
डाइट जामनगर को सहृदय धन्यवाद ,करकरे जी को इस विजनरी पहल के लिए विशेष साधुवाद जिनके सहयोग व मार्गदर्शन के बिना इस कार्य की कल्पना नहीं की जा सकती थी । विजय सिर व प्रूफला मैडम का सहयोग सहारनीय  रहा ।
और अंत में पर किसी से कम नहीं आभार रमेश भाई व जगदीश भाई को (व्यवस्थाओं व लकड़ी की कारिगिरी के लिए )।
ये तो फ्रंट end की टीम थी , एक और शक्स जिसने  बैक एंड में रहकर सभी व्यवस्थाओं को सही व समय पर हो जाने में महती भूमिका निभाई ,उनको भी दिल से आभार – हमारे छगन भाई ।
                                 और अंत में
नियमों की कठोरताए व नीरस पाठ्यक्रम छात्र जीवन को निर्जीव बना देती है , शिक्षा तो प्रतिदिन  की जीवनयात्रा और अन्त: व बाह्य प्रकीर्ति का मेल है ,छात्र जीवन ने जीवंतता लाने की पहल शिक्षा में काम करने की सार्थकता है । पढ़कर सीखना और करकर सीखना में जो बुनियादी फर्क है उसे ऐसी पहल से ही महसूस किया जा सकता है।  जहां सीखने में  आत्म निर्भरता , स्वायत्ता ,रचनात्मक भागीदारी ,स्वतंत्र चिंतन ,समस्या समाधान , गलती करते हुए सीखना , समग्रता में सीखना हो – ऐसे ही विज्ञान संदर्भ केंद्र की संकल्पना की शुरुआत के साथ सीखने की सतत यात्रा की ओर ।
सभी बनाए गए मॉडल /गतिविधियों की सूची –
Here is the list of toys/exhibits we together made:
1.Cd football
2.Great Dodecahedron
3.Platonic Solids
4.Tangram
5. T puzzle
6. Ring rope Puzzle
7. Ghost cube
8. Hamilton Path
9. Dc motor                                                      
10. Multi Generator
11. Wave generator
12. Stroboscope
13. Projector
14. Robotic frog
15. Di electroplating
16. Screw jack
17. Downhill (incomplete- t joint was unavailable / children will make it themselves)
18. Square to triangle table
19. Jumping magnetic frog
20. Magnetic Kite
21. C60 football
22. Height might
23. Mobile projector
24. Card flip magic
25. Straw wave model
26. Einstein clock
27. Charka
28. Balancing PVC pipe + bottle

Activities/Toys for box
1.1000 yr calendar
2. 3 bottle fountain
3. Bird in cage (incomplete)
4. Bottle container
5. Centrifuge ball
6.  Chappal inset
7. Flexagon
8. Hola
9. Moibus loop
10. Levitating pen
11. Pencil Spinner
12. Syringe Generator
13. Spiral snake
14. 3 way toy
15. Ray diagram
16. Rabbit train
17. Newspaper cap
18. Topi Shankar story
19. Paper tangram
20. Flute
21. Sprinkler
22. Spinner
23. Sprayer
24. Climbing butterfly
25. Paper circuit greeting card







                                                                            धन्यवाद –
                                                                            विकास


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