Teaching aids - Need, type and importance of teaching aids



                                                                   Teaching aids

                                          Need, type and importance of teaching aids

जब से एजुकेशन शुरू हुई है तब से rote लर्निंग व् memorization को सिखने –सिखाने में discourage किया गया है , फिर भी हमारे classrooms में सबसे ज्यादा फोकस सिखने –सिखाने में remembering पर रह जाता है .

अमेरिकन शिक्षाविद Edgar dale के कोन ऑफ़ एक्सपीरियंस के अनुसार -







डेल के अनुसार , ये कोन difficulty लेवल दर्शाने के लिए न होकर ये बताने के लिए है की कहाँ ज्यादा सेंस organ use होते हैं हर स्टेज का अनुभव आपस में जुड़ा हुआ है और एक साथ मिलकर ही अर्थपूर्ण लर्निंग को सुनिश्चित करता है . इस कोन को जानना इसलिए जरूरी है की जब हम बच्चों को सिखाने के लिए तैयारी करें तो ऐसा टीचिंग मेथड चुने जिसमे बच्चों को अधिक से अधिक सेंस ऑर्गन के साथ समायोजन करने का अवसर मिले ताकि वे इससे स्थायी ज्ञान प्राप्त कर सके ,ये कोन टीचर को टीचिंग एक्टिविटी चूनने में भी मदद करता है .
Sense एक ऐसी प्रणाली है जिसमें संवेदी कोशिका प्रकारों का एक समूह होता है जो एक विशिष्ट भौतिक घटना के प्रति प्रतिक्रिया करता है, और जो मस्तिष्क के भीतर क्षेत्रों के एक विशेष समूह से मेल खाती है जहां संकेत प्राप्त होते हैं और व्याख्या की जाती है। संवेदी अंग सभी प्रकार के ज्ञान के मूल रिसेप्टर्स हैं जो हम अपने आसपास के वातावरण से प्राप्त करते हैं। इन अंगों में सुनने, सूंघने, चखने, छूने और देखने का sense शामिल है जो हमारे सभी ज्ञान का आधार बनते हैं। सीखने और याद करने की प्रक्रिया हमेशा संवेदी अंगों के उपयोग से शुरू और प्रभावित होती है। प्रभाव लंबे समय तक चलने वाला हो जाता है, अगर उस प्रक्रिया में अधिक इंद्रियां शामिल होती हैं जिसे मल्टीसेन्सरी लर्निंग भी कहा जाता है। इंद्रियों की भागीदारी के बिना अर्थ की धारणा या चित्रण नहीं किया जा सकता है। एडगर डेल और उनके एक्सपीरियंस ऑफ cone भी इस तथ्य पर जोर देते हैं कि हर कोई चीजों, घटनाओं, व्यक्तियों आदि को सीखने और याद रखने के लिए अपने संवेदी अंगों का उपयोग करता है। सीखने और याद रखने की इस प्रक्रिया में जितने अधिक अंग संलग्न होते हैं, उतनी ही लंबी छवि होती है। यदि लेसन प्लान शिक्षार्थी की स्मृति को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा जो शिक्षार्थी की अवधारणा को प्रभावित करेगा। इसलिए, शिक्षकों को सीखने की प्रक्रिया में अधिक से अधिक ज्ञान अंगों को संलग्न करना होगा। इंद्रियों के उपयोग के बिना कुछ भी नहीं माना जा सकता है जो सीखने और याद रखने का आधार बनते हैं।


हेलो फ्रेंड्स मैं हूँ विकास और आज मैं बात कर रहा हूँ टीचिंग aids के बारे में , कोठारी commission ने भी क्वालिटी टीचिंग में टीचिंग aids को रिवोल्यूशनरी बताया और कहा था की ये लर्नर में से बेस्ट निकालने में मददगार है .
क्या है इम्पोर्टेंस टीचिंग aids की –
इन्सान के पास होते हैं 5 सेंस ओर्गंस जिनकी सहायता से आसपास की दुनिया को समझने का प्रयास करता है , ये हैं – आईज , इअर्स , tongue, स्किन एंड नोज . किसी चीज को सिखने में हम जितने ज्यादा सेंसर यूज़ करते हैं उतनी ज्यादा लर्निंग .
क्लासरूम में verbal ism को कम करने के लिए व् ज्यादा से ज्यादा सेन्सर्स का यूज़ करने के लिए टीचिंग aids हेल्प करते हैं .
learners का अटेंशन बनाये रखना टीचर के लिए सबसे ज्यादा challenging होता है . टीचिंग aids क्लासरूम को more entertaining,interesting और अपीलिंग बनाते हैं .
क्लासरूम मैनेजमेंट में जो a गुड डील ऑफ़ एनर्जी चली जाती है , उस एनर्जी को positively channelized करते हैं टीचिंग aids .
स्टूडेंट्स को opportunity मिलती है मूव करने की , हँसने की , कमेंट करने की ,इमेजिन करने ,सोचने की और रीजनिंग पॉवर को यूज़ करने की – जिन्हें हम higher फैकल्टी ऑफ़ लर्निंग मानते हैं . टीचिंग aids हमें ये सब अपने क्लासरूम में करने के लिए इनेबल करते हैं .
जो लर्निंग थेओरिएस में हमने सिखा है कि –कैसे पढ़ाये ? सिंपल तो काम्प्लेक्स , known to unknown, concrete to abstract etc. पर क्लासरूम में ये सब रियल में कैसे हो? टीचिंग aids है solution.
क्लासरूम में different टाइप के , diverse स्टूडेंट्स की need को पूरा करने में हेल्पफुल हैं टीचिंग aids .
बच्चों के लिए एक तरह का reinforcement है – टीचिंग aids .
जहाँ –जहाँ options होते है , वहां –वहां सही चयन की समस्या आ ही जाती है . हम टीचिंग aids सेलेक्ट करने में ये ध्यान रखें कि वो लर्निंग के साथ integrate हो , क्लास curriculum के अनुरूप हो , और महत्वपूर्ण बात की टीचिंग aids केवल recreational एक्टिविटी बन कर न रह जाए , इस बात का विशेष ध्यान रखना है ,something meaningful use होना जरूरी है .

टीचिंग aids age एप्रोप्रियेट हो, बच्चो के लेवल व् एक्सपीरियंस के अनुरूप हो मतलब बच्चो के फिजिकल , साइकोलॉजिकल ,इंटेलेक्चुअल ,इमोशनल और इकोनोमिकल बैकग्राउंड को ध्यान में रखते हुए हो.
क्लासिफिकेशन ऑफ़ टीचिंग aids
ऑडियो aids – लैंग्वेज लैब , रेडियो , टेप ,डिस्को रिकॉर्डिंग
Visual aids – कार्टून , चार्ट्स,कॉमिक्स,डायग्राम,फ़्लैश कार्ड्स ,ग्राफ, मैप ,फ़ोटो ,पोस्टर .
डिस्प्ले बोर्ड्स – बुलेटिन ,flannel बोर्ड , Magnetic बोर्ड ,पेग बोर्ड
3 – D aids ,
चाक-बोर्ड
साइलेंट फ़िल्म ,स्लाइड प्रोजेक्टर
ऑडियो visual- टेलीविज़न , ओवरहेड प्रोजेक्टर , फ़िल्म
एक्टिविटी aids – फील्ड ट्रिप , demonstration ,एक्सपेरिमेंट और dramatization

suggestions ऑफ़ effective use ऑफ़ टीचिंग aids –
teacher should be well skilled.
Remember: It should not substitute but supplement the teacher work.
Teaching aids should be located conveniently for easy access.
Teaching aids सब्जेक्ट के अनुरूप अलग हो सकते हैं , आपको इस चैनल पर मैथ्स , साइंस और लैंग्वेज पर ढेर सारा quality मटेरियल मिल जायेगा .

आप मेरी वेबसाइट vikassharmaeducation.com पर भी important कंटेंट पा सकते हैं , आप अपनी need व् query हमारे साथ शेयर करें जिससे टीचिंग ऐड के सिलेक्शन व् available कराने में मैं आपकी मदद कर सकूँ . तो एक बेहतर लर्नर व् टीचर बनने के लिए सबसे आसान काम अभी कर लीजिये – इस चैनल को सब्सक्राइब करके, bell आइकॉन को ऑन , विडियो देख्नते रहिये , रिफ्लेक्ट करते रहिये ,शेयर करते रहिये .

जय हिन्द, जय भारत.


























































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