डुंगरपुर
आओ आपका परिचय डुंगरपुर से करवाता हूँ ,
कुछ बुद्धिजीवी लोग इसे आर्थिक,शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानते हैं ,
हाँ ,यह सच है ,एयरपोर्ट,ऊंची –ऊंची
इमारतों
और मशीनों के शोर की यहाँ कमी है ,
पर जिन मानव मूल्यों को आपके शहर के लोग
किताबों में ,दर्शन में ढूंढते हैं –समता ,एकजुटता ,न्याय
यहाँ के लोग उसके धनी हैं ,
हो सकता है ,आपके शहर के लोग ,आकाश में उड़ते हों ,
पर यहाँ के बच्चो के सपने आकाश को पार करते हैं ,
यहाँ लोग नींद के लिए दवाई नहीं लेते ,
सकूँ के लिए बाबाओं का ज्ञान नहीं लेते ,
आपके शहर में तीन –सितारा ,चार सितारा ,पाँच सितारा
होंगे ,
पर यहाँ सितारे आसमान में ही हैं ,
और हाँ , यहाँ के लोग चाँद की चाँदनी
को फिल्मों में नहीं ,
उसमे उतरकर देखते हैं ,
यहाँ की जमीन पथरीली है ,
जो पहाड़ हम बचपन में सिनरियों में बनाते थे ,
उन्ही से घिरा ,उन्ही पर बसा –छोटा सा शहर है ,
चोरी ,रेप ,घोटाले ,जमाखोरी ने अभी पैर
नहीं पसारे हैं ,
इसलिए मेरा शहर आपके शहर की तरह
अखबारों की सुर्खियों में कम आता है ,
पर जब आप आओगे यहाँ ,
अनुपम ,सुंदर दृश्य इसके , आपके मन का एक छोटा सा
कोना चुरा ही लेंगे ,
गेप सागर – आपकी सारी चिंताएँ ले
लेगा
माही –सोम आपको ऊर्जा से संचित रखेंगी ,
वेनेश्वर का मेला ,आपको हमारी संस्कृति की याद दिलाएगा ,
देव –सोमनाथ मंदिर – अद्वितीय निर्माण शैली का परिचय देगा ,
और गलियाकोट की दरगाह –एकता का भाव जगायगी ,
यहाँ के अधिकांश लोग खेती करते हैं ,
गेहूं –चावल मुख्य फसलें हैं ,
सरल वागड़ी बोलने वाले
हाँ ,फर्राटेदार अँग्रेजी से थोड़ा दूरी बनाएँ हैं ,
पत्थरों को पसीने से सींचकर हारा रखा है ,
तीज, त्योहार ,मेले ,खाने –पीने की
अपनी सी रस्मे हैं ,
आपके बुद्धिजीवी लोग ,इन्हे आदिवासी,पिछड़ा पुकारते
हैं ,
हाँ ,आपके विकास के मानको में मेरा शहर पिछड़ा है ,
पर उस विकास के साथ जो आप लोग लाओगे ,
लालच व मक्कारी और मुर्दा मानवता
आपसे निवेदन है ,
या तो अपने विकास के मानको को बदलो,
या हमें पिछड़ा ही रहने दो ।
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