जीवन कौशल शिक्षा

                               जीवन कौशल शिक्षा

मनुष्य  होना अपने आप में जीवन कौशल शिक्षा की आवश्यकता को जन्म देता है । अन्य जीव अपनी नेसर्गिक क्षमताओं को स्वत: ही पा लेते हैं , पर जो मानव होने का मतलब है –हमारी भाषा प्रयोग करने की क्षमता ,तर्क करने की क्षमता ,स्वायत्त होने की क्षमता आदि।  क्षमताएं होना यह सुनिश्चित नहीं करता की सभी मानव इन विशिष्ट गुणो से परिपूर्ण होंगे ,हमें मानव होना पड़ता है ,हमें अपनी क्षमताओ का प्रयोग करना सीखना पड़ता है । वास्तव में मानव शिशु इतने अपरिपक्व होते हैं की उन्हे खुद के भरोसे छोड़ दिया जाये और दूसरों का मार्गदर्शन और सहायता न मिले तो वे उन मूलभूत क्षमताओं को भी हासिल नहीं कर पाएंगे जो उनके भौतिक अस्तित्व के लिए आवश्यक है इसलिए हमें जरूरत होती है –जीवन कौशल शिक्षा की ।
जीवन कौशल शिक्षा जो हमारी मानव बनने में मदद करे । जो हमारे सामाजिक कौशल (आत्म –ज्ञान ,प्रभावी सम्प्रेषण आदि ),सोचने के कौशल (रचनात्मक सोच ,निर्णय लेने की क्षमता , समस्या निराकरन की क्षमता आदि ) और भावात्मक कौशलों (भावनाओं मे संतूलन ,तनाव से पर पाना ) को परिपक्व करने में मदद करे।
क्या हमारी आधुनिक शिक्षा ,हमारे स्कूल हमे मानव होने की ओर ले जा रहे हैं ? जीवन कौशल शिक्षा अंतर्निहित है शिक्षा की व्यापकता में । जीवन कौशल शिक्षा को शिक्षा से अलग देखना आश्चर्यजनक व मूर्खतापूर्ण होगा। वर्तमान में सीसीई में इन्ही कौशलों को रेखांकित कर इन पर ध्यान दिलाया गया है । आज शिक्षा व्यक्ति के किसी एक पहलू पर ध्यान केन्द्रित न करते हुए समग्र व्यक्ति को शिक्षित करने वाली हो गई है ।
जीवन कौशल शिक्षा से सीसीई कुछ अन्य मुद्दो को भी समाधान करने का प्रयास करता है – यह बच्चो के ज्ञान के निर्माण की प्रकिरया में सहायता करते है , बच्चे सीखने के आनंद को प्राप्त करने के लिए सीखे ,ना की पूर्व की तरह परीक्षा में सफल होने के लिए , शिक्षक और बच्चो के रिश्ते को एक नई दिशा प्रदान करते है ,बच्चो को यत्नपूर्वक दी गई शिक्षा व साथ रहकर मिलने वाली शिक्षा में स्पष्ट अंतर करते है ,बाल केन्द्रित शिक्षा –ऐसी शिक्षा जो बच्चो को उनके अनुभवो से सीखने में मदद करें ।
नवीन पाठ्य पुस्तके भी बच्चो के जीवन कौशलों को विकसित करने हेतु परिवर्तित की गयी है । ये बच्चो की रचनात्मकता व जिज्ञासा को जीवित रखते हुए उन्हे पूस्तकों से स्वतंत्र अपने परिवेश से जुड़ते हुए ज्ञान के निर्माण की स्वाभाविक पृकिरया की ओर ले जाती हैं । कौशलों से प्राप्त होने वाले ज्ञान के बारे में यह सत्य है की यदि हम बच्चों को किन्ही कौशलों में निपुण करना चाहते हैं तो यह काम भी बिना उस काम में बच्चों को संलग्न किए  सिखाना संभव नहीं है । इन कार्यो पर एक बार में महारत की उम्मीद करना भी नाइंसाफी है ।
जीवन कौशल शिक्षा स्कूल शिक्षा के मुख्य उद्देश्य को साधती है –बच्चो को उनके जीवन के लिए तेयार करना । यह तभी संभव हो सकता है जब बच्चा प्राथमिक स्तर से ही अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के साथ –साथ आगे बढ़ता रहे। 

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