INNOVATION FAIR IN EDUCATION

                                                          इनोवेशन मेला -२०१८

इनोवेशन शब्द  सुनते ही जेहन  एक सकारात्मक वैचारिक दृष्टिकोण से लबरेज हो जाता है , एक ऐसा बदलाव जिसकी जरूरत है जो पहले से निर्धारित लक्ष्य की ओर  ले जाने में किये जा रहे प्रयासों को गति देता है . मैंने अपने अनुभव में इनोवेशन का विपरीत शब्द उपयोग होते नहीं देखा है ,इनोवेटिव होना , इनोवेशन करना हमारे व्यक्तितत्व का एक वांछित गुण ही रहा है .
नव चेतन स्कूल , खम्भालिया में इनोवेशन मेले के अवलोकन करने का सुयोग मिला , यह गुजरात में शिक्षा में हो रहे नवाचारों में से एक है जो essar  की सहायता से आयोजित किया गया . मैं अपने साथी छगन भाई के साथ पूर्व निर्धारित समय पर आयोजन स्थल पर पहुँच गया था , इस तरह के आयोजन को लेकर अनेकों परिकल्पनाएं  मानस पटल पर बन रही थी, मेरे पूर्व अनुभव इनकी रूपरेखा बना रहे थे . शिक्षक होने के अर्थ में ही मैं इनोवेशन को समझ पा रहा था, इसके बिना तो शिक्षा या शिक्षक अपने होने के अर्थ को नहीं पा सकेंगे. फिर शिक्षक से इनोवेशन करने के लिए कहने  का अर्थ तो ये  हुआ की आग से कहना की जला कर दिखाओ ,पानी से कहना की गिला करकर दिखाओ . सिखने की जटिल यात्रा में शिक्षक की भूमिका ही यही होती है की इनोवेशन के जरिये छात्र के स्तर के अनुसार उसकी मदद की जा सके ताकि सीखना बाधित न हो .
 नव चेतन स्कूल एक अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर से युक्त स्कूल था ,स्कूल के भवन ,मैदान व् अन्य व्यवस्थाओं से तो यही प्रतीत हुआ ,स्कूल की शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में ये सारी जानकारी ज्यादा कुछ कहने में  मदद नहीं करती हैं . स्कूल परिसर में परिचित शिक्षकों का मिलना सुखद अनुभव रहा . कुल ५६ शिक्षक अपने तथाकथित नवाचारो को इस मेले में प्रदर्शित कर रहे थे , स्कूल के कमरों में वो अपने नवाचारों को आगुन्तको से चर्चा करने के लिए तैयार खड़े थे. विज्ञानं व्  गणित मेलों में जिस प्रकार बच्चे अपने –अपने मोडल्स को लेकर खड़े रहते हैं ,तथा दर्शको की जिज्ञासा  को शांत करने का प्रयास करते है ,कुछ वैसा ही माहौल यहाँ बन पड़ा था.  बच्चो की भांति कुछ  प्रतिभागियों में उत्साह  था अपने मॉडल्स /इनोवेशन को लेकर ,कुछ ने केवल जगह घेर रक्खी थी और अपनी जगह से नदारद थे . लगभग ६ *४ के फ्लेक्सी बोर्ड पर प्रतिभागी का नाम , स्कूल का नाम ,नवाचार का शीर्षक और नवाचार का वर्णन कमरे की दीवारों पर लगा दिए गए थे , एक कमरे में ६ से ७ इस तरह के प्लेक्सी बोर्ड लगे थे , उनके आगे मेज लगे हुए थे ताकि मेज के एक ओर  प्रतिभागी दूसरी ओर दर्शक /अवलोकन कर्ता खड़े थे , कुछ  प्रतिभागियों ने मेज पर अपने नवाचार से सम्बंधित सहायक सामग्री भी रक्खी हुई थी. सभी प्रतिभागियों को अन्य मोडल्स /नवाचारो का मूल्यांकन करना था व् एक विशेष टीम भी इनका मूल्यांकन कर्रेगी फिर दोनों मिलकर कुल तीन नवाचारों का चयन करेंगे जो राज्य स्तर मेले में भागीदारी करेंगे.
हमुसर प्राथमिक शाला के शिक्षक ने बच्चो के गृह कार्य ने करने पर किये गए नवाचार के बारे में बताया  ,की बच्चो को गृह कार्य को पूरा करने के महत्व के बारें में ही नहीं पता होता है , बच्चे गृह कार्य भूल करना भूल जाते हैं  आदि इस समस्यां समाधान के लिए उनके द्वारा किये गए प्रयासों के बारें में चर्चा की जैसे वे बच्चो को गृह कार्य के महत्व को नियमित रूप से समझाते हैं ,बच्चो को पुरुस्कार व्  दंड के माध्यम से भी गृह कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं , बच्चो के अभिभावकों से भी इस सन्दर्भ में नियमित मिलते हैं , उन्होंने बताया की उन्हें अपने प्रयासों से सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं और बच्चो ने पहले से अधिक नियमित और व्यवस्थित रूप से गृह कार्य करना शुरू कर दिया है .
एक अन्य शिक्षक साथी ने गणित का नवाचार साझा किया ,उन्होंने गुना करने के नेपियर तरीके के बारे में बताया , वे इस तरीके के बारे में चरणवार तरीके से समझा रहे थे और साथ ही साथ गुना के मानक तरीके में बच्चे 0 लगाने में जो गलतियाँ करते हैं वो इस तरीके में सरलता महसूस करेंगे.
एक अन्य शिक्षक साथी ने कुछ videos बनायीं हुई थी  और उन videos के barcode लिंक बनाये हुए थे , कोई भी अपने स्मार्ट फ़ोन का उपयोग करते हुए उन विडियो तक पहुँच सकता था . ICT बैनर के साथ अन्य शिक्षक साथियों ने भी भाषा एवं विज्ञानं में इसी तरह का नवाचार साझा किया . एक –दो विज्ञानं के मॉडल , वैदिक गणित की सहायता से संक्रियाएं ,त्रिभुजो की संख्या गिनना ,बाल संसद ,प्राथना सभा जैसे नवाचार भी देखने में आये.  सभी प्रतिभागियों के साथ अर्थ पूर्ण संवाद समय सीमा के कारण  नहीं हो सका जबकि शिक्षको के साथ इस तरह की चर्चा करना मेरा सबसे अधिक प्रिय विषय है.
सभी प्रतिभागी व् अन्य इन नवाचारो को देखने आये शिक्षक स्कूल के हॉल में एकत्रित हुए , जहाँ आज के दिन का विधिवत शुभारम्भ होने वाला था  जैसे ओमकार उच्चारण ,प्राथना , दीप प्रगट्य ,मुख्य अतिथि का  सम्मान ,मंचासीन अतिथियों का उद्भोधन आदि . मंचासीन अतिथियों में प्रधानाचार्य डाइट जामनगर करकरे जी , सद्भावना ट्रस्ट के ट्रस्टी विजय भाई , भानगढ़ के निजी स्कूल के संचालक ,ब्लाक सन्दर्भ व्यक्ति  व् cspc टाटा ट्रस्ट के क्लस्टर मेनेजर आदि .

उधर इनोवेशन मेले का विधिवत आरम्भ हुआ जो बेहद ही पारम्परिक तरीके से किया गया जिसे सभी स्कूल प्रोटोकॉल समझ कर पालना करते हैं और छोटे से नवाचार से भी कतराते हैं ,इनके क्रम से छेड़खानी सोचना भी अपराध बोध के कम नहीं है . उससे भी अधिक रोचक तो तब हुआ जब आज के मंचासीन अतिथियों ने मंच से हटते ही भोजन ग्रहण करने के उपरांत अपने अपने गंतव्य स्थल की ओर  पलायन कर लिया . किसी ने भी नवाचार के बारे में बात नहीं की ना जानना चाहा की जो बुकलेट जिसमे सभी ५६ नवाचारों को छापा गया था की उनमे क्या हैं ,प्रतिभागी क्या बताना चाहते हैं  और ये वही लोग थे जो मूल्यांकन कर्ता थे . कमरे इंतजार कर रहे थे की वे सभी आये और उनके प्रयासों को समझे ,अपने सुझाव दे आदि , साथी शिक्षक जरूर एक दुसरे के नवाचारो को उत्साह से अवलोकन कर रहे थे .

मंच की संचालिका ने मंच से इनोवेशन की परिभाषा बताते हुए कहा था की इनोवेशन साइंस और टेक्नोलॉजी के बीच की कड़ी है , इससे ये तो स्पष्ट है की मनुष्य की मौलिक अवलोकन ,व्याख्या करने ,वर्गीकरण करने , प्रयोग करने व् परिकल्पनाओं को जांचने से शुरू होकर ही नवाचार अस्तित्व में आता है .

इस तरह के शैक्षिक संवाद सतत अर्थपूर्ण ढंग से होते रहें ,विमर्श का प्रवाह निरंतर बना रहें जो शिक्षक साथियों के साथ –साथ बच्चो को भी ऐसे अवसर दें ,ऐसा नहीं है की उन्हें सिखने में दिलचस्पी नहीं है ,पर हमें उन्हें सिखने के आनंद का अनुभव करवा पाने में असमर्थ रहे हैं . यदि हम इन्सान के तौर पर उनका आदर करें ,छोटी – मोटी    पढने की सामग्री के द्वारा उनकी चेतना को झकझोरे , प्रासंगिक विषयों पर सुगम संवाद आयोजित करे उन्हें स्वयं की कार्यपद्दति पर विचार करने में मदद करें तो तो एक उत्साही सिखने वाले  का जन्म संभव है. 

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