from science class- how a candle burn,mombatti ka jalna -energy science pedagogy experiment

8वी के 8 बालको के साथ जसराज विज्ञान की कक्षा को शुरू कर रहा था , 9:30 हो चुके थे, कल उसने जीवाश्म ईधन के बारे में बताया था , उसे विज्ञान पढ़ाते हुए ये देखने की इच्छा हुई की वो क्या प्रयोग व चर्चा करता है ,उसे बच्चों को बुलाने के लिए बाहर जाना पड़ा , 4 बच्चों के साथ मैंने ऊष्मा व ऊर्जा पर बात शुरू की , ऊष्मा शब्द से क्या खबर पड़ती है ?
आग , गर्मी ,ताप –एक –एक शब्द में बच्चों ने जबाब दिये
और ऊर्जा –ये क्या है ? मैंने पूछा
गर्मी .....
एक बोला – भोजन
हाँ , भोजन से हमें ऊर्जा मिलती है ,मैंने बोलना शुरू ही किया था ही की मेरी बात को काटते हुए एक बच्चा बोला – प्रोटीन से हमें ऊर्जा मिलती है , भोजन से नथी
मैंने उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा की हमारे शरीर को , हमें कुछ भी काम करने के लिए ऊर्जा चाहिय ,जिसके लिए हम भोजन करते हैं , जो प्रोटीन , वसा  और कई तरह की ऊर्जा देता है , हमें ये ऊर्जा सीधे किसी चीज से नहीं मिलती है , इसलिए हमें खाना लेना पड़ता है जो इन सबमें –प्रोटीन बगेरह में टूटकर हमें ऊर्जा देता है जिससे हम सारे काम कर पाते हैं , इतने में जसराज भी हमारी चर्चा में जुड़ चुका था
सर बिना साधन के हम ऊष्मा व ऊर्जा के प्रयोग कैसे करें ?
करके देखते हैं कुछ आओ ?
ऊष्मा व ऊर्जा को महसूस करते हैं आओ ,
सभी ने अपने हाथ रगड़कर गाल पर लगाए, कैसा लगा-
गरम –गरम
रगड़ने से गर्मी बढ़ती है –दो बच्चे एक साथ बोले
मोमबत्ती से हमें क्या मिलता है ?
गर्मी ...
प्रकाश
प्रकाश और गर्मी दोनों –बच्चे खुद ब खुद यहाँ तक पहुँच गए ,
ऐसा होता कैसे है ? मैंने पूछा
मोम जलता है – कुछ बच्चो ने उत्तर दिया
मोम जलता है या बत्ती –क्या जलता है ?
बत्ती –एक ने झट से जबाब दिया
मोम –बाकी ने तेज आवाज में जबाब दिया ,
आओ देखते हैं – मोमबत्ती को नीचे से थोड़ा तोड़कर ,उसके मोम व धागे को अलग किया , फिर धागे को जलाया , धागा जल गया ,फिर मोम को जलाया मोम पिघल गया –कुछ जल गया ।
अलग –अलग धागा व मोम को जलाने पर तो हमारे सामने है ,फिर जब दोनों मिल जाते हैं तो क्या होता है जो मोमबत्ती जलती रहती है ?
धागा जलता है
मोम जलता है
ऐसे ही जबाब आए ,पर इस बार इनकी टोन थोड़ा ठहर के आई, कुछ धीमी आई ,कुछ सोचती हुई आई ,कुछ पूछती हुई आई ।
उन्हें अपने जबाब पर संदेह करने का अवसर मिला ,पर किशोर बालक कैसे ऐसे अपनी बात को छोड़ दें , उनके दिमाग में हुई उथल –पुथल से नयी परिकल्पना बनने लगी ,पर नए के स्वागत की रीत को उनसे दूर रखा गया है , उसे पालने में ऊर्जा जो लगती है । कौतूहल ज्यादा देर ना ठहरा ,अधिकतर बच्चों के स्वर में फिर से तेजी आ गई थी – मोम जलता है
अपने देखे ,सुने –महसूस किए पर प्रश्न करना ,उसके जबाब को तलाशने की जदोजहद से गुजरना ,एक सवाल से और कई सवाल को पैदा करना ,उनको ईमानदारी –वैचारिक ईमानदारी से नकारना या मानना –ये उनके बाल मानस के विज्ञान का पहला कदम है , अपने परिवेश को ताकना ,उसमें से कोतूहल की नाव पर बैठ कल्पना –परिकल्पना के सागर में गोते लगाना ,कुछ जानना –समझना ,जाँचना अपनी गढ़ी बातों को , दूसरों से सुनी बातों को –एक विरोध से सामना करना जो उनकी इस यात्रा को आगे बढ़ाता जाएगा , जैसे –जैसे उनका प्रतिरोध कम होगा ,उनका सफर छोटा ।
उनकी नाव डूबने से पहले मैंने उनकी ओर सवाल की रस्सी उछाल दी ,जिस-जिस ने पकड़ी वो आगे सफर करेंगे बाकी तो कर चुके जितना करना था ।
धागा जलाने से जल जाता है , मोम भी जलाने से पिघलता है ,जलता है फिर मोमबत्ती में आखिर ऐसा क्या होता है जो धागा व मोम के जलने से प्रकाश भी मिलता है , ऊष्मा भी और सतत रूप से ?
उनकी चुप्पी उनके सोचने का इशारा थी या इस विचार को छोड़ने का ?
मैंने अपने हाथ का धागा तोड़ा (कलावा ), पास रक्खी बोतल के पानी को उसके ढक्कन में लिया ,धागे का एक सिरा पानी में डुबोया और दूसरा सिरा डस्टर को खड़ा करके उसके ऊपरी सिरे पर टिका दिया , बच्चो की जिज्ञासा को पर लगे हों  जैसे ,कोई जादू को देख रहें हो ? उनकी नजरे मुझसे सवाल कर रही थीं ये किसलिए है ? ये क्या है ?
बिना देर किए मैंने सवाल उछाल दिया – क्या पानी ऊपर आएगा ?
कुछ देर से जबाब आया – की धागे को नीचे गिरा दो तब पानी आ जाएगा ।
ऊपर नहीं चढ़ पाएगा ,
आप बताओ क्या होगा ?
ऐसे ही कुछ सवाल –जबाबों के बीच मैंने मोमबत्ती को जला दिया , पर सभी की निगाह तो पानी में डूबे धागे पर थी, उनके इस अवलोकन को टोकते हुए मैंने मोमबत्ती को देखने का भी आग्रह किया –
फिर समय की सीमा के खातिर अपनी चर्चा को शुरू किया – मोमबत्ती के जलने पर क्या क्या मिलता है ?
प्रकाश ,गर्मी
उनके जबाबों को आगे हुए कहा  - कुछ ऐसा जो हमें दिख नहीं रहा , या अभी हम नहीं देख पा रहे
बच्चों ने प्रयास किया – कालिख
इसको एक और नाम से मैंने उनके सामने रखा – कार्बन –मोम में और हवा में कुछ पानी भी तो होता है वो भी साथ जलता है , हवा –हवा में है ऑक्सीज़न ,आक्सीजन होना जलने की जरूरी शर्त है , जो जलेगा । ईधन- जिसे जलना है - दूसरी शर्त ,पर कुछ वस्तुएं जल्दी व कुछ देर से क्यूँ जलती है , अपने ज्वलन ताप – ताप जिस पर वो जलना शुरू कर दें , हमने कागज को जलाया , फिर कागज में पानी लेकर जलाया –अब कागज जला नहीं , पानी गरम हुआ जरूर ।
इसको एक त्रिभुज बनाकर दिखाया – जिसकी भुजाएँ  आक्सीजन , ईधन , ज्वलन ताप हैं – जलने का त्रिभुज ।
इतने में बच्चों ने सारा ध्यान मेज पर बिखरे पानी की तरफ ला  दिया – ढक्कन में से पानी  डस्टर पर चढ़कर काफी मात्रा में मेज पर आ चुका था , बच्चों की गुत्थी अब सुलझने को थी , धागे के इस गुण (केशिका नली) की वो पानी को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है ,ऊपर की और भी ये मदद करता है मोमबत्ती के जलने में , पहली बार जब हम माचिस से मोमबत्ती जलाते हैं तो धागा गर्म होकर जलता है फिर उसके आसपास का मोम गर्मी पाकर पिघलता है ,पिघला हुआ मोम धागे से सतत ऊपर चढ़ता रहता है और जलने त्रिभुज पूरा रहता है – हवा की आक्सीजन ,धागे में आता मोम –ईधन ,और जो पहली बार माचिस से जलाया उसे मिला ज्वलन ताप।
क्या हर धागा ऐसे ही करता है ?
अलग –अलग धागे लेकर इसे करके देखना और हमारे साथ साझा करना । स्कूल की घंटी को ध्यान में रखते हुए बातचीत को रोकना ही लाजिमी था , जिज्ञासा –परिकल्पना –जबाब की उम्मीद ये विज्ञान होने का त्रिभुज बन जाता है।




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