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Showing posts from July, 2017

SCIENCE PEDAGOGY 2

गिलास में क्या है ? खाली है , कितने खाली बता रहे हैं ? कुछ सोचने लगते हैं , हवा है ! एक दो बोलते हैं हवा कैसे ? चुप्पी सी कक्षा में ........ ये तो हमने किया था , याद करो हाँ , गिलास को उल्टा पानी मे डुबोकर तिरछा करो , (ज्यादा बच्चो की आवाज) बुलबुले निकलते हैं .... ....... लेजर का आखिरी बिन्दू ही दिखता है , बीच की लाइट कैसे देखे ? डेटोल की शीशी में था थोड़ा सा कुछ , आधे में पानी मिला दिया , और आधी बची शीशी में अगरबत्ती का धुआँ भर दिया , धुआँ वाले भाग पर लेजर डालने पर , शीशी में लाइट दिखी , जो सीधी रेखा में जा रही थी , गिलास में पानी लिया , पेंसिल टेढ़ी दिखाई दी , समतल काँच का गुटका लिया , एक सिरे से तिरछे लेजर से लाइट डाली , एक पेपर पर डाली गयी किरण , समतल से पार निकली किरण को खींचा , दोनों एक सीध में नहीं थी ...... सभी ने समूह में बारी –बारी खुद भी किया यही तो है प्रकाश का अपवर्तन । प्रिज्म से भी इंद्रधनुष बनाया , कक्षा में , कक्षा के बाहर , धूप में , छाव में , दीवार पर , कापी पर ...... कोण भी नापे ... पहले वाला आपतन ,

मुनिया चाची

                        मुनिया चाची मौन रहकर और रोकर - मन की व्याकुलता ने रास्ता ये पाया शून्य जीवन में जो बना  गईं , उसकी शब्दों में बयानी को मुश्किल है पाया , बचपन की यादों की  पोटली जो बिखरी- चाची का  मुस्कराता चेहरा सामने आया , यूं तो एक चाची और ताई और भी हैं , पर खुद को जिनके ज्यादा करीब पाया , उनके घर के प्यार से बुलाते थे – “ मुनिया” , गाँव की यादों को उन्हीं में सिमटी पाया , अपने पीहर की लाड़ली वों , छोटी चाची ने यहाँ भी सबको अपना बनाया , श्वेत-पीताम्बर की थी छाया , इकहरी उनकी काया घर-खेत दोनों जिम्मेदारीयों को बखूबी उन्होने निभाया , बोली की मधुरता , विचारों की नवीनता , अद्भुत विनम्रता उनकी परछाई में भी इन गुणो को मैंने पाया , आम की खटाई , करोंदे  का आचार , रोटी पानी के हाथ वाली , दूध की लस्सी , चूल्हे पर पकाती हुई....खेत में खाना लाती हुई ...... भीगी आंखो में , अपनी यादों में .......... उन्हें पाया गाँव में मेरा आना – जाना कम भले ही होता रहा , चाची का प्यार निखरता ही रहा , उनकी बीमारी व उनकी मुस्कराहट की जंग अजीब ही रही एक माह पहले हुई मु

Science pedagogy 1

                                                  Science pedagogy -1 Science deals with the study of nature and natural phenomenon.  Science is a social endeavor and dynamic body of knowledge. Creation of knowledge in the domain of science is a product of human mind. It is a dynamic engagement of human with nature, natural world and how s/he perceives her environment and society, and what all social forces acting upon and interaction taking place. Like many other subjects creation of knowledge in science requires several skills like observation, classification, quantification, approximation, estimation, model building, data collection, representation, and analysis, making testable prediction, argumentation, logical thinking, creativity, visualization, and imagination etc. Knowledge in science is tentative and always open to change based on new evidences and findings. At primary level the basic objective of science teaching is to arouse curiosity of children towards world arou

A tribute to my teacher

A tribute to my teacher A tribute to my teacher मनन –मनन कोटी कोटी मनन मनन , उस दिव्य रूप , उस ईश रूप , उस सर्व रूप मेरे जीवन के प्रेरणा स्वरूप , उन गुरुओं को महानमन मे तो जल की एक धारा था , मुझे नहीं था मालूम , किस रहा था मुझको बहना तब आप आए , चट्टान बने , मुझको राह दिखायी , मे तो आवेग मे , नई उमंग के जोश मे , निरथर्क ही बाद रहा था , आपने विशाल मैदान बनकर मुझे दी सिथिरथा , गहनता , विशालता सरलता , गंभीरता मेरे जीवन को दिया नया आयाम , जब जब मे राह से भटका , या संघर्षों से डरकर हो गया स्तब्ध , आपने खुद को कर प्र्त्यक्ष नव ऊर्जा का संचार किया , मेरे कोरे सपनों को , ठोस आधार दिया , कभी मुझे बदलने को , मुझसे कठोर व्यबहार किया , ये आप ही हो , जिसने मेरी नोका को हर भवर से पार किया , मेरे उद्गम से , सम्पूर्ण सफर मुक्ति तक का मार्ग दिया , ये शीश आपको झुकता है , हिर्दय से अभिनंदन करता है , नमन-नमन , कोटी कोटी , नमन –नमन , स हिरदया आपको करता है !