माँ का इश्क़
माँ का इश्क़
इश्क़ जंजाल होता है ,
इश्क़ मायाजाल होता है ,
इश्क़ गहरा दरिया –सख्त राह होता है
इश्क़ इम्तिहान होता है
रंग बदलते आँसू की इश्क़ पहचान होता है ,
गर इश्क़ को बेदाग रखना है ,
सौदेबाजी के समंदर मे ईमान रखना है ,
इबादत सा इश्क़ को पाक रखना है ,
फरिश्ते कद संभाले,इसके
कदमो मेँ सारा आसमान रखना है ,
खुदा के नूर सा जो बरबस बरसता हो ,
गर इश्क़ की ऐसी मिसाल रखना हो,
वो है माँ का
इश्क़ बेटे से
वो नाता है ही अचरज का ,
हो सकते सारे रिश्ते खोटे हों ,
वो रिश्ता सबसे बढ़कर है ,
ना वो आदत ,ना जरूरत है
माँ की रहमत ही मालिक है
माँ का नूर दुनिया है
माँ की हस्ती से हस्ती है ,
माँ की दुआओं से पार होती जीवन की कश्ती है ,
माँ का इश्क ही खुदा है
माँ इश्क़ ही हकीकत
माँ ही इश्क़ ही है साया
माँ का इश्क़ ही जहां है
माँ के इश्क़ से ही मैंने
ये इल्म सारा पाया
माँ ही इश्क़ ही है साया
माँ का इश्क़ ही जहां है
माँ के इश्क़ से ही मैंने
ये इल्म सारा पाया
इश्क़ -इश्क़ –इश्क़
कतरा –कतरा हुआ वो रोशन
माँ का इश्क़ जिसने पाया
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