रिन-चिन -1
रिन-चिन ,डेरो डाम
चिन-रिन ,डेरो डाम
खेल चले सुबह से शाम
टीना ,मीना और
श्याम
खेलते रहते सुबह –शाम
टीना टाफी ,मीना चाकलेट
और कंचे लाया श्याम
खेल –खेल में तकरार बढ़ी
टीना है थोड़ी नकचड़ी
मीना ने भी कर लीं आंखे अपनी बड़ी
टाफी मेरी ज्यादा हैं ,
चाकलेट मेरी ज्यादा हैं ,
टीना –मीना ,मीना –टीना
करती रही खड़ी-खड़ी,
कुछ बुझे ना ,कुछ समझे ना
ये झगड़ा तो निपटे ना ,
टीना –मीना बच्ची थी ,
गिनती में वो कच्ची थी ,
एक,दो,सात –आठ
तीन ,पाँच ,छ ,सात
दोनों कुछ –कुछ करती थी ,
मैडम ने बतलाया था
भैया ने समझाया था
समझ में थोड़ा ही आया था ,
होते-होते बात बढ़ी
थक गईं थी वों खड़ी –खड़ी
इतने में आ पहुंचा श्याम
करता हुआ धूम –धड़ाम
झट से किस्सा समझा श्याम
टीना –मीना ,एक –एक करके मुझको दो ,
अपनी टाफी ,चाकलेट दो
मीना की बारी
टीना की बारी
दोनों अब बारी –बारी
टाफी सारी खत्म हो गई
चाकलेट हाथ में तीन रह गई ,
तीनों तिकड़म समझ चुके थे ,
झगड़े से अब निपट चुके थे ,
मीना –टीना और श्याम
फिर करने लगे
रिन –चिन डेरो डाम ।
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