सपनों का चक्रव्यूह

“We will die before we have truly awakened.”

जिंदगी – सपना है ,
          हम उड़ सकते हैं , जा सकते हैं ,
          कहीं भी,द्वंद करते हुए अपनी इच्छाओं से ,
         कभी अजीब से ,समझ से परे
          असीमित कैनवस लिए ,
          फिर भी कहीं तो बंधे से रहते हैं ,
           सब-कुछ देख या महसूस कहाँ कर  पाते हैं ,
            हम सपने में ,

क्या जिंदगी में ऐसा नहीं ?
जीने ,कुछ करने की ,
कभी न खत्म होने वाली जिजीविषा
पर फिर बंध जाते हैं ,
बुलबुले से भी क्षणिक
               बिलकुल –सपने जैसे
हम कारक हैं ,अपने सपनों के,
हमारे ज्ञान ,अनुभव को
बस animate करते हैं –हमारे सपने

जिंदगी – हाँ हमारी जिंदगी
कभी फीकी सी ,कभी रंग से भरी ,
जब चाहे ये थम जाये ,
            कौन देख रहा है ये सपना ,
            किसके सपनों के पात्र हैं हम ,
            उसके सपने ,उसमे फिर हमारे सपने ,
वो भी किसी के सपने में तो नहीं ,
             कुछ सत्य है या है ही नहीं ,
             दुनिया –ये जीवन
             सपना –भ्रम

             सपनों का चक्रव्यूह तो नहीं। 

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