short poems on education
क़ैद
क़ैद
मायने बदल दिये है जिसने शिक्षा के ,
क़ैद
अर्थहीन कर दिया है जिसने शिक्षा को
क़ैद
जिसमे दम तोड़ रही है शिक्षा ,
जकड़ी हुई है
बेड़ियो में ,
परतंत्रता ने
छीन लिया है इसके रूप को ,
कर दिया है
इसकी क्षमताओं का दमन ,
प्राण पखेरू निकलने से पहले ,
इसे आजाद करना होगा ,
स्कूलों की क़ैद से।
बूंद
जहां देखो ,जिधर देखो
शिक्षा ही शिक्षा
शिक्षा का समंदर बना लिया है हमने
पर प्यासे रह गए हैं सारे
अभी भी इंतज़ार है उस बूंद का ,
जो आए
और प्यास बुझा दे।
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