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From Wings of fire

हर दिन जियो ,जियाले  जैसा  जीवन अपना पाओ  जब मुसल हो ,मारो, जब ओखल हो,चोटें खाओ.                           पर्रिकल्पना और सर्जन के  बीच  भावना और कर्म के बीच पड़ती है परछाई जिससे  बनता जीवन  जीवन की भंगुरता .       

neta

कोई इस पर इल्जाम लगता है ,  कोई उस पर इल्जाम लगता है, असली आतंकवादी तो हम सफेदपोश में बैठे हैं , हमें "नेता" के नाम से जाना जाता है,  अरे वो आतंकवादी तो वफ़ा के पुतले होते है , अपने वतन के लिए न सही , अपने दल के लिए अपनी जान देते हैं.  और नेता वतन हो या दल , पैसे के लिए दोनों को बेच देते है.!

sardi "The Winter"

ठण्ड , कपकपाती सर्द हवा, visibility भी कहीं खो रही थी, बाह्य से अंतर तक , सर्दी फ़ैल चुकी थी, फिर भी, जब में निकला , इसको छूने , इसको महसूस करने,  में भ्रम में था, या फिर अपनी , कल्पना  में, नित्य भांति उनका तनिक न बदला , सर्दी तो स्रंग्रिका थी उनके सोंदर्य का , वो अविचलित, खुद मशीन से , मशीनों पर काम कर रहे थे, अन्दर गर्माहट थी, पर मुझे कोई अलाव दिखाई न दिया,  लपटें तो मैंने भी महसूस की,  पर जो जल रहा था , इन मिथ्या नत्रों से में देख न पाया,  पे रुका थोड़ा ठहेरा , सर्दी का अस्तित्व कहाँ?  मेरा रोम - रोम ज्वलित हुआ,  कहाँ टिक पाया उस प्रचंड,  अनल के आगे , बाहर आ फिर थोड़ा , सचेत हुआ, अन्दर, सत्य की अंगीठी पर, सदभाव , परस्पर उदभाव, निष्ठा , मानवीय  संवेदनाएं , और खुद मानवता ........ हाँ, और कौन ,  इस मौसम के प्रोकोप से , मानव को बचाता , ये सब तो कब की मर गयी थी , अब इनकी चिता की गर्मी से, मानव खुद श्रस्थ्ता के दंभ को जीता है,  पर अग्नि तो अग्नि है,  मंद कभी , विकराल कभी,  अनंत शांत हो जाना है , क्यूँ न देख रहीं, हे मनुज तेरी द्रस्ती इसको, क्या तुझको  भी उस अग्नि संग , अस्तित्व विहीन ह