Infinity - wonder of Maths


                                                                         Infinity



इनफिनिटी –इस शब्द का वास्ता तो आपकी जिंदगी में होता ही रहता है जैसे – गॉड अनंत है , अनंत है उसकी पॉवर  ,टाइम को आप क्या मानते हैं ? बिग बेंग से शुरू हुआ और चलता ही चला जा रहा है , या इस आकाश को जो है लिमिटलेस - अनंत .और  हमारी संख्याएं अनंत हैं .
पर इतना लूजली लेते हैं ना हम चीजों को , कभी सोचा भी नहीं इस पर की आखिर ये अनंत है क्या?
वैसे ऐसा हमने केवल अनंत के साथ नहीं किया  ,हम अक्सर महत्वपूर्ण सवालों व् घटनाओं को इगनोर कर देते हैं ,पर मानव होने के मूल में है – वंडर करना , उसके कारणों का पता लगाना , ये ही यूनिक एबिलिटी है जो अन्य एनिमल्स को डोमिनेंट करने की पॉवर देती है .
तो फ्रेंड्स मैं हु विकास, और आज हम बात कर रहे है –इनफिनिटी की    
सबसे पहले तो जायंट नंबर्स मतलब विशाल संख्याओं को अनंत समझने की भूल ना करें . मतलब ये संख्याएं वास्तव में बहुत बड़ी  हैं और गिनी जाना बहुत ही कठिन काम है ,पर मुमकिन है .
उदाहरण से समझते हैं , दुनिया भर के सारे पेड़ –पोधे ,जीव –जंतु – गिनती की जाए तो देर –सवेर मुमकिन है की गिना जाए . किसी निश्चित संख्या से इसे बताया जा सकता है , आकाश में तारों की संख्या ,हमारे सर में बालों की संख्या – आज का विज्ञान ऐसे सवालों का भी जबाब देने में सक्षम है .
महान गणितज्ञ आर्कमिडीज ने कहा था की इस धरती पर सभी समुद्र तटों पर मौजूद बालू के कण भी अनंत नहीं है मतलब इन्हें गिना जा सकता है , इतना ही नहीं ,ब्रहमांड के समस्त प्रोटोन व् इलेक्ट्रोन भी अनंत नहीं होते हैं .
आप अब ये सोच रहे होंगे की फिर अनंत क्या है ? वास्तव में इस भौतिक जगत में अनंत के लिए कोई उदाहरण है ही नहीं . भौतिक जगत में सभी कुछ सिमित है . तो अनंत का उदहारण कहाँ मिलेगा ,तो लीजिये –हमारी गिनती , जी हाँ , मैंने कहा भौतिक जगत में नहीं है कोई उदाहरण ,पर हमारी गिनती कहाँ इस भौतिक जगत की है , आप गिनिये ,आपकी पीढ़ी भी गिनेगी ,पर गिन नहीं पाएंगी –ये है एक मुकम्मल उदाहरण अनंत का .
पर अब जरा ध्यान को और  बढ़ा दें , अब आपके साथ मैं अनंत पर सदियों से चली आ रही पहेली /सवालों को साझा करने वाला हूँ ,जूझिये इससे ,और कमेंट्स बॉक्स में कोशिश करें इसे सुलझाने की ,
1,2,3,4...........ये डॉट बता रहे हैं की गिनती अनंत है ,अब हम अगर इनके वर्गों की बात करें , मतलब
एक का वर्ग एक , दो का वर्ग चार , तीन का वर्ग नो , चार का वर्ग सोलह ......ये सिलसिला भी अनंत ता ही जायेगा , पर आप ये ओब्सर्व करें की इस वर्ग संख्या वाले पैटर्न में २,3,5,6,7,८,10,११,१२,१३,१४,१५,.......संख्याएं नहीं है मतलब गिनती वाले पैटर्न से कम संख्याएं हैं , ऐसे समझे की वर्ग संख्याएँ ,प्राकृतिक संख्याओं में आ ही जाती है , पूर्ण का एक भाग है .
फिर ऐसा कैसे संभव है की पूर्ण का एक भाग ही पूर्ण के बराबर हो .
१,२,3,.........भी अनंत
१,४,९,१६,२५,......भी अनंत ,या ये छोटा अनंत है , अनंत में भी कुछ छोटा या बड़ा जैसा होता है क्या ?
चकरा गए , है जबाब तो शेयर कीजिये कमेंट बॉक्स में ,  आइये और अचरज में डालता हूँ , महान गणितिज्ञ रामानुजन ने प्राकृतिक संख्याओं का योग बताया है यानी १,२,3,४ ......को जोड़ कर दिखाया है ,उन संख्याओं का जोड़ जिन्हें हम गिन भी नहीं पा रहे हैं , और उनके अनुसार ये है - -१/१२ , कुछ अजीब सा लगा क्या ? सभी प्राकृतिक संख्याओं का योग एक ऋण संख्या है .  इसका प्रूफ मैंने एक अलग वीडियो में एक्सप्लेन किया है आप इसका लिंक डिस्क्रिप्शन में पाओगे .
आगे बढ़ते हैं इस अनंत को समझने की यात्रा पर –
A = १-१+१-१+१ -१+१ ......
A= (१-१) +(१-१ )+(१-१)+(१-१).......
  ० + ० +० + ० .......
A = ०
अब इस सवाल को रीअरेंज कर दूँ तो , मतलब ,
A = १ – (१-१) –(१-१)-(१-१)-(१-१) .........
A= १ – ० -० -० ......
A= १

कभी ० कभी १ , जैसे कभी खुशी ,कभी गम ,

एक और तरीके से रीअरेंज कर दूँ तो ,
A = १ – (१-१+१-१+१-१+१ ......)
A = १ – A
2A = 1
A = ½
अब A = ० , A = 1, A = ½   भी ,
दम है तो बताइए ना जबाब ,

ये उलझन शताब्दियों से गनितिज्ञों को परेशान करती रही है , सौभाग्य से 19वी सदी के अंत में हमें इसका आंशिक हल दिया जर्मन गणितिज्ञ “केंटर” ने.
इन्होने अनंत का एक नया गणित ही बना दिया , हम जो गणित जानते अहिं , डेली लाइ के बीच  में यूज़ करते हैं , वो नाकाफ़ी था अनंत की पहेली को सोल्व करने में , जो अनंत का गणित बनाया गया है उसके अनुसार इस तरह की सीरीज का कोई निशिचित मान है ही नहीं , इस सीरीज का मान ० और 1 के बीच दोलन करता रहता है , इस प्रकार की सीरीज को गनितिज्ञों ने नाम दिया है – “ दोलन सीरीज” .
केंटर ने अनंत पहेली का हल सुलझाया one –to – one कोर्रेस्पोंडिंग के सिद्धांत से , ये वो बेसिक सिद्धांत है जिस पर हमारी गिनने या काउंटिंग करने की समझ टिकी हुई है . जब इनसान को गिनती भी नहीं आती थी ,तब भी वो गिनता था , हजारों साल पहले जब इन्सान को अपनी भेड़े गिननी होती थीं और तब उसके पास गिनती भी नहीं थी , तब वो कुछ निशान लगाता था , गांठे लगाता था ,और इसी one –to –one कोर्रेस्पोंडिंग से वो पता लगा लेता था की सारी भेड़े वापिस आ गयीं या नहीं . इसी से आगे जाकर इन्सान ने गिनती का विकास किया , गिनती के विकास को हम अलग वीडियो में समझेंगे ,वापस पहुँचते हैं आज के मज़ेदार टॉपिक पर –अनंत पर.
सामान्यत: तो हम यही कहते हैं की अनंत एक ऐसा सेट है जिसकी गिनती का कोई अंत नहीं ,परन्तु केंटर के अनुसार ,अनंत एक ऐसा सेट है जिसका हम इसी के सबसेट के साथ one –to-one रिलेशन बना सकते हैं .
आप नंबर्स पर यकीन करते हो ना , ऐसे ही इनफिनिटी भी ह्यूमन माइंड की ही एक इजाद है जो भौतिक जगत की चीज नहीं है , पर इनफिनिटी नंबर नहीं है  , क्यूंकि नंबर के पहले के नंबर को आप बता सकते हो और एक बाद को भी , पर इनफिनिटी इस तरह का नहीं है ,
- 1 =
और नंबर्स में ,
-1 = 0
so absurd!
फिर वही सवाल आखिर इनफिनिटी है क्या ?
ग्रीक फिलोसोफर ने इसे समझने की बहुत कोशिश की पर कुछ ठोस हाथ ना लगा , हिन्दू गणितज्ञ जिन्होंने जीरो तो खोजा पर इनफिनिटी को हल नहीं कर सके , महान गणितिज्ञ ब्रह्मगुप्त ने 1/0 को इनफिनिटी बताया पर जिसे हमारे आगे आने वाले वाइज माइंडस ने नकार दिया और बताया की 1 /0  को निश्चित नहीं किया जा सकता है ,इसका जबाब इनफिनिटी नहीं हो सकता . इस पर एक अलग वीडियो बनाई हुई है जिसे आप डिस्क्रिप्शन में पायेंगे .
1655 में जॉन वालिस ,इंग्लिश गणितिज्ञ ने अनएंडिंग कर्व   ,इनफिनिटी का सिंबल दिया और 19वी सदी में जॉर्ज केंटर ने ऐसा फ्रेमवर्क रचा जिसमे इनफिनिटी का सेंस मिलता है ,
Infinity is simply defined as the order of a set that is not finite.
N=  set of 1,2,3,4……..
More satisfying definition जानने के लिए हमें जरूरत है जानने की और ज्यादा mathematical machinery को जानने की .
ज्यामिति में तो अनंत की अभी तक बात ही नहीं की ,इसका भी एक उदाहरण लेते हैं –
किसी रेखा पर हम रैशनल और अपरिमय दोनों तरह की संख्याओं को दिखा सकते हैं , इसका मतलब ये हुआ की जैसे परिमय और अपरिमय संख्या अनंत हैं ,रेखा के किन्ही दो बिन्दूओ के बीच भी अनंत बिन्दु हैं .
इससे यह निष्कर्ष निकलता है की , एक इंच का छोटे सा छोटा भाग ( चाहे सौवा या एक अरबबा  या इससे भी छोटा ) उसमें भी उतने ही बिन्दु होंगे जितने अपरिमित लम्बाई की रेखा में होंगे .
ये क्या अटपटी बात हुई , फ्रेंड्स गणित है ही कुछ ऐसा ,तभी तो दार्शनिक रसेल ने कहा है की – “ गणित एक ऐसा शास्त्र है जिसमे हम नहीं जानते की हम क्या चर्चा कर रहे हैं , और न हम यही जानते हैं की जिसकी चर्चा कर रहे हैं वह सत्य है .”
आप में कुछ के मन में अब ये सवाल आ रहा होगा की जब अनंत का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं या इसके अस्तित्व का हमारे पास कोई भौतिक प्रमाण ही नहीं है , तो फिट इस गणितीय अनंत की चर्चा क्यूँ?
लेकिन फ्रेंड्स ये अनंत ही तो गणित की जान है , पग –पग पर इसकी जरूरत पड़ती है ,हम ब्रह्माण्ड को जो थोड़ा बहुत जान पायें हैं इसी गणितीय अनंत की बदोलत . कैलकुलस का लिमिट टेंड्स to इनफिनिटी याद है ना !
भौतिक जगत में अनंत का अस्तित्व हो ना हो पर गणित के सिद्दांत इसके बिना जीवित  नहीं रह सकते ,फिर भी गणितज्ञ ये दावा नहीं करते हैं की उन्होंने अनंत की पहेली को पूर्ण रूप से हल कर लिया है ,मैंने कहा था आंशिक ....
फ्रेंड्स आज के डिस्कशन को यहीं रोकते है , आगे आप जारी रखें कमेंट्स करके ,वीडियो पसंद आई हो तो लाइक करें ,शेयर करें ,और चैनल को कर लीजिये सब्सक्राइब ,
अपनी जिंदगी को गणित से भरपूर रखिये !
जय हिन्द ! जय भारत !  

Comments

Popular posts from this blog

संविधान की उद्देशिका का अर्थ -संवैधानिक मूल्य Preamble of Indian constitution -meaning and explanation

Assessments in Mathematics and School based assessments,Learning outcome in primary grades as per NCERT

Maths activities for 3rd class ( संख्या ज्ञान) Number system