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Showing posts from April, 2016
short poems on education
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क़ैद क़ैद मायने बदल दिये है जिसने शिक्षा के , क़ैद अर्थहीन कर दिया है जिसने शिक्षा को क़ैद जिसमे दम तोड़ रही है शिक्षा , जकड़ी हुई है बेड़ियो में , परतंत्रता ने छीन लिया है इसके रूप को , कर दिया है इसकी क्षमताओं का दमन , प्राण पखेरू निकलने से पहले , इसे आजाद करना होगा , स्कूलों की क़ैद से। बूंद जहां देखो , जिधर देखो शिक्षा ही शिक्षा शिक्षा का समंदर बना लिया है हमने पर प्यासे रह गए हैं सारे अभी भी इंतज़ार है उस बूंद का , जो आए...
Mathesmatics poem
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While reading book “What is Mathematics?” by Balkrishna Shetty the desire to know mathematics increase manifolds. This book gave me no answer but make me ready to search it by doing mathematics and rejuvenate my passion towards Mathematics. I will sharing my understanding and notes with you that is not only from this book but from other books and discussions. First note- The broad impression about Mathematics among significant proportion of the general public still seems to be that the discipline is mainly concerned with convoluted calculations with numbers, meaningless manipulations of symbols and confounding compilations of propositions. It is also not uncommon to come across people who believe all that needs to be proved in Mathematics has already been proved! Mathematics and the mathematical way of thinking have always been an integral part of our daily lives and deeply embedded in our cultures. They are consequences of the fact that mathematics thinking is very clo...
Education :think like this
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1. शिक्षा मानव को “धर्म” विमुख बना रही है ? शिक्षा हमारे ज्ञान के आयाम को बढ़ाती है , हमें यह जानकारी मिलती है की इतिहास में कब धर्म का प्रादुर्भाव हुआ , कैसे इसका प्रचार –प्रसार हुआ , कैसे इसके स्वरूपों में परिवर्तन आया और ये सतत परिवर्तन अभी भी जारी है , और समयानुकूल परिवर्तन होता रहेगा । शिक्षा से धर्म की चमत्कारी छवि को बड़ा धक्का लगा है , बिना कोई सवाल मन में लाये बिना धर्म में अटूट आस्था रखना अब यह संभव नहीं रह गया है । शिक्षा मानव को तर्क करना सीखा रही है , तर्क आस्था में बाधा बढ़ाने के सिवा किसी काम नहीं आ रहा है । शिक्षा मंदिर –मस्जिद –चर्च या अन्य धार्मिक स्थलो पर शेक्षिक संस्थानो , अस्पतालो व शोध कार्य –शालाओं को तहजीर दे रही है । शिक्षा एक नए धर्म से हमारा परिचय करा रही है –मानव धर्म और हमे वर्षो से चले आ रहे “धर्म” से विमुख कर सबको अपने अनुसार धर्म को समझने व मानने की स्वतन्त्रता दे रही है । 2. शिक्षा राष्ट्र का विरोध कर रही है ? शिक्षा वेशविकता का समर्थन करती है , यह छदम भोगोलिक सीमाओं को नहीं मानती , यह हमे राष...