मानव होने का मतलब?
मानव होने का मतलब ?
सोचना –समझना
संस्कृति को विकसित करना
क्या मानव होने का यही
मतलब है ?
हम विलक्षण है,
ऐसा जानवर भी तो मानते होंगे
की वो विलक्षण है ,
जानवरों को पता होगा ,
विकास
की ये सीढ़ी
कितने
जंगल ,कितनी प्रजाति को समेट लेगी ,
मनवा की
रची दुनिया ,
मानव
संग सब पर प्रलय होगी ,
जानवरों ने आभास कर लिया होगा,
स्वार्थवश ,परिवार ,समाज गढ़ने से ,
लालच भी
बढ़ता जाएगा ,
फिर
सारी सभ्यता,सारा ज्ञान,
लालच
के असीम पेट में समा जाएगा ,
जानवरों ने भाँप लिया होगा ,
भाषा जो
मेल करा पायी ,
बढ्ने में
अद्भुत वेग लायी ,
खूब
कटुता भी घोलेगी ,
छल –झूठ
,प्रपंच से विध्वंसक खेल भी खेलेगी
जानवरों ने समझा होगा ,
भूख को खाने
तक ही सीमित रखना ,
प्यास को
पानी से ही भरना ,
पर मानव की
भूख तो अब विकराल हो आई है ,
सारी धरती
पी ली उसने ,पर प्यास खत्म न हो पायी है ,
मानव ने ये सब विलक्षण होने के बाद जाना ,
पर वे तो आदि से ही इसके ज्ञाता है !
सोचना –समझना ,
संसकीर्ति को विकसित करना ,
विलक्षण मानव होने के मतलब को
फिर सोचना होगा ?
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