Sister
मेरी जिन्दगी , उसकी इनायत कभी लड़ाई, कभी शिकायत पर हर बार की तरह वो अपना स्नेह ,निश्छल प्यार बरसाती गई मेरी जिंदगी को निखारती गई,सँवारती गई इस प्यार में कुछ बनावट न थी , बदले में कुछ और पाने की लालसा न थी, जैसे जैसे वक्त बढ़ा ,वैसे ये रिश्ता गहराता गया , मै मिथ्या इस दुनिया में प्यार ढूंढता गया , पर उसके प्यार को शब्दों की जरूरत न थी , किसी दिखावे,या किसी नजराने की जरूरत न थी , उसने मेरी गलती को छिपाया ,,मुझे सही रह दिखाई , कभी मेरी परेशानी में, उसकी आँखे नाम हो आयीं , इतना निःस्वार्थ , इतना पवित्र ,ये रिश्ता शब्दों में बहिन ,पर मेरे लिए सबसे खास ये रिश्ता ।