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योग -योग का इतिहास व् योग का अर्थ आज के यतार्थ में

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ह्यूमन बीइंग –इन्सान लगातार अपनी समझ ,ज्ञान ,क्षमताएं बढ़ा रहा है , हम सबसे ज्यादा ताकतवर है –जब हम देखते हैं पिछले मानव इतिहास को   ,पर हमें इस पॉवर से करना क्या है – इसका जबाब किसी के पास नहीं है . हम सेल्फ मेड गॉड हो गए हैं ,जो किसी के प्रति जिम्मेदार नहीं है . क्या इससे भी ज्यादा कुछ खतरनाक हो सकता है की एक गैर –जिम्मेदार ,असंतुष्ट मानव   जिसने गॉड के समान पॉवर तो हासिल कर ली हैं – पर वो खुद नहीं जानता की वो चाहता क्या है ? ये सवाल जरूर फिलिसोफिकल हैं , हजारों सालों से अलग –अलग तरीकों से इन पर विचार क्या गया है , पर आज इन सवालों के जबाब तलाशना सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है . तारीखों से हमने ये पाया है की – लम्हों ने खता की है , सदियों ने सजा पायी . फ्रेंड्स मैं हूँ विकास और आज मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ –एक जबाब –ऐसे सवालों का , यूँ भी कह सकते हैं की एक सवाल जो आपको सोचने को मजबूर करेगा और आप भी तलाश शुरू कर दोगे, और मिलकर हम हमेशा जीततें हैं , तो बने रहिये मेरे साथ वीडियो के आखिर तक –एक संभावित जबाब की परते पलटते हैं , सबसे पहला काम – चैनल को कर लीजिये सब्सक्राइब और

जिंदगी के मायने -Aim of life

जिंदगी के मायने क्यूँ ये साँसे मिली हैं ? क्यूँ करते हैं हम कोई भी काम? क्या हो सकता है इस जिंदगी का ध्यय ? ... एक हमें आता है कहानियाँ गढ़ना , उन कहानियों पर यकीन करना हमने इश्वर जैसा पात्र रचा , उसके उपदेशो को खुद ही गढ़ा , फिर इस कहानी में हम अपनी भूमिका खोजते हैं , उसी भूमिका को जीते है , उसी के लिए जीते हैं , हमने मान लिया है कुछ खास तरीको से रहना , इश्वर को अच्छा लगेगा , हमें इस जीवन और जीवन के बाद भी इनाम मिलेगा , वो खास तरीके हमारी गढ़ी कहानियाँ हैं , पर अब हम ये भूल चुके है , उन कहानियों को जीवन की सच्चाई मान लिया है , इसी की भूमिका को निभाना -जिंदगी या कहें की कहानी बढती ही जा रही है , हम आज के हिस्से   में फंसे रह गए हैं , बाकी पीछे जो छूट गई , उसे एक साथ समझना मुश्किल हो रहा है . इन कहानियों को गढ़ने से पहले भी जीवन था , या जो जीव कहानी नहीं बनाते –कैसे जीते हैं? कहानियाँ बदलती भी रही हैं , नयी गढ़ी भी गई हैं , राष्ट्रवाद भी ऐसी ही एक कहानी है , इसमें यकीन रखने वाले – देश के लिए जीते हैं , बाजारवाद भी ऐ