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स्वच्छ भारत अभियान

               स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छ भारत का स्वच्छता अभियान आओं बढ़ाये , स्वच्छ भारत से देश का मान , स्वच्छता ही है , हमारी आन , देश की शान , स्वच्छ भारत- हमारा अभिमान स्वच्छ भारत का स्वच्छता अभियान गली –गली , कूचे कूचे पर , ढेर कूड़े का जो लगा हुआ है , आज शपथ लेंगे हम सब , मिलकर करेंगे कार्य महान , कूड़ा ना फैलाएँगे , फैले कूड़े को हटाएँगे , एक होकर हम सबको करना है , नव भारत का निर्माण , स्वच्छ भारत का स्वच्छता अभियान गाँव हमारा , शहर हमारा और ये प्यारा देश हमारा हम सबकी ये ज़िम्मेदारी , देंगे हम सब अपनी –अपनी भागीदारी , एक ध्यय , एक मिशन स्वस्थ समाज , स्वच्छ समाज स्वच्छता ही हम सबकी पहचान , स्वच्छ भारत का स्वच्छता अभियान आओं बढ़ाएँ देश का मान , देश की शान स्वच्छ भारत , निर्मल भारत स्वच्छता से बढ़ेगा देश का मान , स्वच्छ भारत का स्वच्छता अभियान ।

जानने की इच्छा

जानने की इच्छा , जिज्ञासा मानव की मूल प्रवर्तियों में से एक है । किसी नयी वस्तु को जानने , समझने के  कौतूहल ने ही मानव सभ्यता की यात्रा को इतिहास से वर्तमान तक का सफर करा दिया । भाषा की आवश्यकता एवं प्रांभिक उपयोग भी प्रश्न पूछना ही रहा होगा। बच्चो के बाल्यकाल में इस जिज्ञासुपन हम सबने अवश्य अनुभव किया होगा , वस्तुओं को छूकर देखना , उठाना , फेंकना , चखना , नयी वस्तु के अनुराग में तो बालक अपना रोना , खाना भी छोड़ देते हैं। नए जानवरो , नयी आवाजों , नए प्रतीको का आकर्षण किस बच्चे को स्कूल जाने से पहले ना रहा होगा ? स्कूल जाने के बाद या कुछ दिनों तक स्कूल में बिताने के बाद हम बच्चो का वर्गिकरण कर पाते हैं की कुछ बच्चे बहुत प्रश्न पूछते हैं से कुछ बिल्कूल प्रश्न पूछते ही नहीं । जैसे –जैसे हम आगामी कक्षाओं में बच्चो के प्रश्न पूछने का अवलोकन करते हैं मानव अपनी मूल प्रवर्ति से विरत होता दिखाई देता है । हमारी वर्तमान शिक्षा व्यवस्था और इससे भी ज्यादा आधुनिक समाजीकरण मानव की सबसे विलक्षण क्षमताओं में से एक प्रश्न पूछना , अज्ञात को समझना के बाधक के समान हो गए हैं । बच्चो में इस प्रवर्ती को ब