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Showing posts from March, 2017

राम की तलाश

                            राम की तलाश विवेक आज नए स्कूल में जाते हुए बहुत खुश था , नया बैग , नए जूते , नए ड्रेस , सभी कुछ नया –नया । कक्षा में जाते ही राम –राम गुरु जी करके प्रवेश किया । गुरु जी ने बालक को मुस्करा कर देखा , उसके पास जाकर प्यार से सिर पर हाथ फेरकर बोला राम –राम बेटे , अति सुंदर । गुड मॉर्निंग बोलेंगे , कुछ भी बोल लो जो आनंद राम –राम कहने में है वो किसी में नहीं , कहते हुए गुरु जी भी अपनी कुर्सी पर बैठ गए। अभी थोड़ी देर पहले विनोद आया था , उसका भी पहला दिन था , उसे इस तरह स्वागत नहीं मिला था , अगले दो –तीन दिन भी ऐसा ही होने पर विनोद के मन में यह प्रश्न उठने लगा की गुरु जी मुझे प्यार से बैठ जाने के लिए क्यूँ नहीं कहते । शायद राम –राम कहने से ऐसा है । आज घर पर विनोद ने अपने पापा से पूछ ही लिया क्या मैं  भी गुरु जी को राम –राम कह सकता हूँ । अपने बच्चे के अचानक से आए प्रश्न पर पिता ने कहा – हाँ –हाँ क्यूँ नहीं , राम –राम कहो , पर राम को जान लो और भी अच्छा । विनोद ने आखिरी शब्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया । कुछ दिन और बीतने पर विवेक के घर राम –कथा का आयोजन थ

मैं नास्तिक क्यों हूँ?

भगतसिंह (1931) मैं नास्तिक क्यों हूँ? यह लेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था और यह 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के अखबार “ द पीपल “ में प्रकाशित हुआ । इस लेख में भगतसिंह ने ईश्वर कि उपस्थिति पर अनेक तर्कपूर्ण सवाल खड़े किये हैं और इस संसार के निर्माण , मनुष्य के जन्म , मनुष्य के मन में ईश्वर की कल्पना के साथ साथ संसार में मनुष्य की दीनता , उसके शोषण , दुनिया में व्याप्त अराजकता और और वर्गभेद की स्थितियों का भी विश्लेषण किया है । यह   भगत सिंह के लेखन के सबसे चर्चित हिस्सों में रहा है। स्वतन्त्रता सेनानी बाबा रणधीर सिंह 1930-31के बीच लाहौर के सेन्ट्रल जेल में कैद थे। वे एक धार्मिक व्यक्ति थे जिन्हें यह जान कर बहुत कष्ट हुआ कि भगतसिंह का ईश्वर पर विश्वास नहीं है। वे किसी तरह भगत सिंह की कालकोठरी में पहुँचने में सफल हुए और उन्हें ईश्वर के अस्तित्व पर यकीन दिलाने की कोशिश की। असफल होने पर बाबा ने नाराज होकर कहा, “प्रसिद्धि से तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है और तुम अहंकारी बन गए हो जो कि एक काले पर्दे के तरह तुम्हारे और ईश्वर के बीच खड़ी है। इस टिप्पणी के जवाब में ही भगतसिंह ने यह लेख