राम की तलाश
राम की तलाश विवेक आज नए स्कूल में जाते हुए बहुत खुश था , नया बैग , नए जूते , नए ड्रेस , सभी कुछ नया –नया । कक्षा में जाते ही राम –राम गुरु जी करके प्रवेश किया । गुरु जी ने बालक को मुस्करा कर देखा , उसके पास जाकर प्यार से सिर पर हाथ फेरकर बोला राम –राम बेटे , अति सुंदर । गुड मॉर्निंग बोलेंगे , कुछ भी बोल लो जो आनंद राम –राम कहने में है वो किसी में नहीं , कहते हुए गुरु जी भी अपनी कुर्सी पर बैठ गए। अभी थोड़ी देर पहले विनोद आया था , उसका भी पहला दिन था , उसे इस तरह स्वागत नहीं मिला था , अगले दो –तीन दिन भी ऐसा ही होने पर विनोद के मन में यह प्रश्न उठने लगा की गुरु जी मुझे प्यार से बैठ जाने के लिए क्यूँ नहीं कहते । शायद राम –राम कहने से ऐसा है । आज घर पर विनोद ने अपने पापा से पूछ ही लिया क्या मैं भी गुरु जी को राम –राम कह सकता हूँ । अपने बच्चे के अचानक से आए प्रश्न पर पिता ने कहा – हाँ –हाँ क्यूँ नहीं , राम –राम कहो , पर राम को जान लो और भी अच्छा । विनोद ने आखिरी शब्दों पर ज्या...