terrorism
आतंकवाद रिमोट के बटन दबाता चला गया , हर चेनल उसे हाहाकार दिखाता चला गया , पन्ने वो अखवारों के यूं ही खुले छोड़ देता था , एक-एक घूंट के साथ वो मृत्यु का पढ़ता चला गया , उसे क्या ? वो तो चैन की नींद सोया , रोये वो जिसने अपना कुछ खोया , कहीं डोली उठते ही अर्थी में बदली थी , जलते –जलते होली की ज्वाला शमशान में बदली थी , ईद – दिवाली के मेले सन्नाटे में बीते थे , ...